भारतीय रेलवे ने लगभग देश के हर हिस्से को छू लिया है. अगर आपने कभी ट्रेन में सफर किया है, तो देखा होगा कि रेलवे अपने इंजनों में पॉवरफुल एयर हॉर्न का इस्तेमाल करता है. ट्रेन में हॉर्न लगाने इस वजह से लगाए जाते हैं, ताकि गार्ड से लेकर, रेलवे के स्टाफ, यात्री और ट्रेन के रास्ते में आने वाले सभी लोग सचेत हो जाएं. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि ट्रेन में 11 तरीके के हॉर्न बजाए जाते हैं. इन हॉर्न का अलग-अलग मतलब होता है. आइए इसके बारे में बताते हैं.

अगर ट्रेन का ड्राइवर एक शॉर्ट (छोटा) हॉर्न बजाता है, तो इसका मतलब होता है कि ट्रेन यार्ड में आ गई है और उसकी साफ-सफाई का वक्त हो गया है.

ट्रेन का ड्राइवर उस समय हॉर्न बजाता है, जब ट्रेन सफर के लिए तैयार होती है. इस हॉर्न के जरिए वो गार्ड को यह संकेत देता है कि ट्रेन चलने के लिए तैयार है, आगे बढ़ने के लिए सिग्नल दीजिए.

ट्रेन में तीन हॉर्न इमरजेंसी की स्थिति में बजाया जाता है. इसका मतलब ये होता है कि ड्राइवर का इंजन से कंट्रोल खत्म हो चुका है. इसलिए वो गार्ड को इस हॉर्न के जरिए संकेत देता है कि वो वैक्यूम ब्रेक को तुरंत खींचे. हालांकि ये बेहद कम ही इस्तेमाल होता है.

अगर ट्रेन में कोई तकनीकी समस्या आ जाती है, तो ड्राइवर चार बार छोटे-छोटे हॉर्न बजा सकता है. इसका मतलब ये भी है कि इंजन आगे जाने की स्थिति में नहीं है.

अगर कभी ट्रेन में सफर कर रहे हों और ट्रेन के चलने का वक्त होने वाला हो और ड्राइवर एक लंबा और एक छोटा हॉर्न बजाए तो आप समझ जाइएगा कि वो गार्ड को इशारा दे रहा है कि वो ब्रेक पाइप सिस्टम को सेट कर दे.

इसका मतलब होता है कि ट्रेन ड्राइवर इंजन का नियंत्रण लेने के लिए गार्ड को संकेत दे रहा है



अगर ड्राइवर रुक-रुक कर लंबा हॉर्न दे रहा, तो ट्रेन रेलवे क्रॉसिंग पार करने वाली है. इस हॉर्न से लोको पायलट ट्रैक के आसपास मौजूद लोगों को सतर्क करता है कि ट्रेन आ रही है. इसलिए वो दूर हट जाए.

